रख लिए है सब मेरी तरफ़ उछाले हुए पत्थर
दिलों की शक़्ल-ओ-सूरत में ढ़ाले हुए पत्थर
दुश्मन के हाथ में हो तो मुनासिब से लगते है
यहाँ तो दोस्त मिले है जेब में डाले हुए पत्थर
पत्थर को पूज-पूज कर पत्थर से हो गए सब
इंसा में दिख रहे है इंसानों के पाले हुए पत्थर
रहमत ख़ुदा की होगी तो मिल जाएगी मंजिल<
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