'तुम्हीं सृजन तुम सृष्टि बोलो''s image
258K

'तुम्हीं सृजन तुम सृष्टि बोलो'



'तुम ही सृजन तुम सृष्टि, बोलो,

ओ! कलिका तुम भी कुछ बोलो'।




तुम ही सृजन तुम सृष्टि, बोलो,

ओ! कलिका तुम भी कुछ बोलो।


नगरों में कुछ हिस्सा पाया,

अंतरिक्ष है अभी बकाया,

हवा, उजाला, भंवरा, उपवन

सांझा सरमाया लघु जीवन,

सभी परस्पर पूरक बोलो

ओ! कलिका तुम भी कुछ बोलो।


सदियों से जाने अनजाने

जन्म लिया मिट गईं अजाने,

कभी अकेले रूप नगर में

इठलाईं बचपनी उमर में,

किन्तु मूक बनीं क्यों बोलो

ओ! कलिका तु

Read More! Earn More! Learn More!