
"दिवाली रोशनी लाई अंधेरे की मुंडेरों से"
दिवाली रोशनी लाई अंधेरे की मुंडेरों से,
किसी छोटू किसी रामू के कच्चे घर बसेरों से।
के बिजली टूट के गिरती किसी छप्पर के सपने पर,
किसी की आँख में खुशियाँ किसी के थकते पैरों से।
ये मिट्टी के दिए  
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