!['किन्तु यादों की पुस्तक में सूखे फूल न देखे होंगे''s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40pradeep-seth-salila/kintu-yadom-ki-pustaka-mem-sukhe-phula-na-dekhe-honge/Screenshot_.jpg)
“पर तुमने मन-द्वार किसी के बुझते दीप न देखे होंगे”
मधुर मधुर अधरों की हाला
मान लिया छलकाई होगी,
अलकों में उलझी तरुणाई
मन्द मन्द बिखराई होगी,
लेकिन झुकी पलक के आंसू बहते कभी न देखे होंगें।
दर्पण से शरमाई होंगीं
नजरें लाख़ चुराई होंगीं,
भाव भरे बन्धन अर्पण की
पी मदिरा मुस्काई होंगीं,
लेकिन पीड़ा पीने वाले अश्क़ कभी न देखे होंगें।
संध्या नयन सजाती होंगी
गजरे में गुंथ जाती होंगी,
बन मौसम की राजकुमारी
अलसाई इठलाती होंगी,
किन्तु यादों की पुस्तक में सूखे फूल न देखे
Read More! Earn More! Learn More!