!['हो सके तो मुझमें दिखना''s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40pradeep-seth-salila/None/Screenshot_20221015-103343_Photos_15-10-2022_12-37-01-PM.jpg)
"तरक्की के साए में"
सुनो
जिन्हें
दाना-पानी देकर पाला था
अंकुर से दरख़्त में ढाला था,
वो पक्षी-
मुंडेर तक आते हैं
रस्म-अदाई कर जाते हैं।
आकाश संपन्न हो गया है
कोमल चांद कहीं खो गया है,
इधर
मैं ठीक हूं
देखो
तुम चिंता न करना,
यहाँ
समय के इस पार
आँखें खोजती हैं
उसे
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