'धीरे धीरे बसा घोंसला  छोड़ परिन्दे दूर हुए''s image
439K

'धीरे धीरे बसा घोंसला छोड़ परिन्दे दूर हुए'


"बचा अकेला बूढ़ा बरगद यादों से बतियाने को"


चाँद सलोना चलकर आया

शायद साथ निभाने को,

घर में बैठा सघन अंधेरा

आतुर दर्द सुनाने को।


कुछ बचपन की कुछ यौवन की

कुछ कुछ प्रौढ़ अवस्था की,

कथा कहानी लेकर आया

मुझसे कुछ बतियाने को।

दर्पण मुझे दिखाने को।


दादी के पल्लू की बातें

अम्मा के आंचल की मेहनत

कालेज वाली खूब शैतानी,

ऑफ़िस याद दिलाने को।


दोपहिया की राज सवारी-

बच्चों का रथ बन जाना,

बेगम का महारानी होना

Read More! Earn More! Learn More!