
समाज में लोग अब
सोचना बंद कर दिए है,
उन्हें फर्क नहीं पड़ता
उन्हें बस चिंता है तो
केवल अपनी,
उन्होंने समुद्र मंथन से
प्राप्त अमृत को पी लिया है,
वे अजेय हो गए है,
पृथ्वी लोक में अब वो
जन्म-जन्मांत
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सोचना बंद कर दिए है,
उन्हें फर्क नहीं पड़ता
उन्हें बस चिंता है तो
केवल अपनी,
उन्होंने समुद्र मंथन से
प्राप्त अमृत को पी लिया है,
वे अजेय हो गए है,
पृथ्वी लोक में अब वो
जन्म-जन्मांत