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जब मैं कवि बनूँगा !

तू उलटी गिनती गिन ,दूर नहीं वह दिन ,

जब ,

मैं भी कवि बन जाऊंगा !

साहित्य जगत का ,रवि बन जाऊंगा !


जो लिखेगी कलम मेरी, वह गीत बनेगा !

हारा जो अब तक ,वह जीत बनेगा !


विचारो से अपने मैं संघर्ष करूँगा !

हर प्राणी का मैं आदर्श रहूँगा !


अब ,

हर कोई मुझे सम्मान देगा ,

मुझसा वो बने ,यह

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