
कैद करके बेजुबान को ,तुमने आजादी पा लिया क्या...
खुशबू पाने की खातिर,बागों को जला दिया ना...
खुदा की लिखी करम काट कर,खुद को अच्छा बना लिया क्या...
कैद करके बेजुबान को ,तुमने आजादी पा लिया क्या।।।।
ये क्या!!!
फटेहाल हो तुम तो अब भी;
तन्हा हीं भटक रहे हो,
कहो कहाँ मिली दौलत त
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