
जरा देख इक बार आईना,
आज तेरी सूरत कुछ और है ।
न छिपा मुझसे मैं जानता हूँ ,
शायद कुछ मुश्किलों का दौर है ।
रोज देखा है जिन झील सी गहराईयों में ,
वो नजर उलझी हुई
आज तेरी सूरत कुछ और है ।
न छिपा मुझसे मैं जानता हूँ ,
शायद कुछ मुश्किलों का दौर है ।
रोज देखा है जिन झील सी गहराईयों में ,
वो नजर उलझी हुई
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