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दीवानी

जिसका मैं दीवाना था,

कहाँ मुझे पहचाना था।


बदन हवेली था उसका,

मैं भी इक तहख़ाना था।


तूफ़ानों की आँखों में,

झाँका तो वीराना था।


ज़िद थी उसकी मैं ठहरूँ,

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