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स्याही।

स्याही लगा इन आंखों की लाली न छिपाया करो,
कभी डूबने दो हमें इस दर्द में नज़रे तो मिलाया करो

माना की नही हम काबिल अब वफाओ के तेरी,
अपनी नैकियत के चलते ही सही कभी मिलने आया करो

उम्र भर भला कहां ही पुकार पाएंगे हम तुम्हे,
कभी तो अपनी नजरो से गुरुर का पर्दा हटाया करो<
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