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सुशील कुमार

एक जुनून उस चेहरे से बोलता था,
उसके कदमों से दंगल डोलता था,
देख उसे कांप उठते प्रतिद्वंदी,
जब रिंग में हल्ला बोलता था

हुनर तुम सा दूर दूर तक न था,
पहवानो में ऐसा गुरुर तक न था,
अनजान थे सब इस खेल से अक्सर
कुश्ती का लोगो में सुरूर तक न था,

प्रेरणा के स्रोत का प्रमाण दिया,
भारत का विश्व में नाम किया,
हर बार विजयपताका लहरा तुमने,
इस खेल को नया मुकाम दिया

कौन सा मेडल ना तुमने लिया,
ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, सब बाधाओं को पार किया,
अर्जुन अवार्ड,पद्मा श्री से नवाजे गए,
अलग ही श्रेणी में तुम विराजे गए

नव युवाओं को तुमने नई राह दी,
जिंदगी रूतबे से जीने की सलाह दी,
मार्ग दिखा अन्य खिल
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