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होली की रचनाएं

तेरे हाथों से इन गालों पर लगा वो गुलाल,
अतीत के दृश्य पटल पर खींची सबसे खूबसूरत स्मृतियां है,
उस सुर्ख लाल रंग से बनी मेरी नियति की रेखाएं,
इस जीवन की सरलता को कितना जटिल कर गई है

उस स्पर्श ने इस पत्थर से जिस्म को कैसे मोम सा पिघला दिया था,
उन प्रेमामयी नजरों के तीरों से मेरी पलकें किस कदर झुक गई,
ओ कृष्ण ये पगली राधा तेरे उस स्पर्श, तेरी उन रचनाओं,
के एवज में अपना तन मन सब तुझे
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