तेरे आलम की बेफिक्री भी अजीब थी,
तकलीफें कहां तब कभी मेरे करीब थी,
तू था साथ मेरे जब दिलबर,
मैं वाबस्ता कितनी खुशनसीब थी
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तेरे आलम की बेफिक्री भी अजीब थी,
तकलीफें कहां तब कभी मेरे करीब थी,
तू था साथ मेरे जब दिलबर,
मैं वाबस्ता कितनी खुशनसीब थी