ये दिसंबर तेरी यादों का
ये सिलसिला क्या कभी थम पाएगा
इन सर्द रातों में, तेरी राह देखती
क्या मेरी आंखों का, पानी यूंही
सुख जाएगा
न तू आता है, न कोई संदेश तेरा
फिर तू ही बता क्यों संजोए
रखे ख़्वाब तेरा
जब हर दिसंबर की तरह
लगता
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