माँ's image

कितने मोहक थे वो दिन,

जब मैं तुम्हारी गोद में थी।

न दुख की चिंता, न सुख का आभास,

नन्ही बाहों में सिमटा था पूरा आकाश,

चौफेरे फैला था ममता का उजाला ,

तेरे आँचल में खिला बचपन मतवाला।


नशे में झूमती सुनती लोरी,

 वात्सल्य का लगा होठों पे प्याला।


पर कितने वेग से खत्म हुआ वो सफर,

कितनी परखार, कितनी

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