
अपने - पराय, दोस्त - परिवार , कोई नहीं पूछता
वो सबके द्वारा ठुकराए जाते हैं
हो कुछ तो सब अपने, और 'गर न हो कुछ हाथ
तो सिर्फ़ तानों के जाल ही बिछाए जाते हैं
जिम्मेदारियों के बोझ से कं
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अपने - पराय, दोस्त - परिवार , कोई नहीं पूछता
वो सबके द्वारा ठुकराए जाते हैं
हो कुछ तो सब अपने, और 'गर न हो कुछ हाथ
तो सिर्फ़ तानों के जाल ही बिछाए जाते हैं
जिम्मेदारियों के बोझ से कं