
इन गुलों की तरह महफ़िलों से
हम निकाले गए थे दिलों से
इश्क़ दरिया से उनको भी है जो
मिल न पाए कभी साहिलों से
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इन गुलों की तरह महफ़िलों से
हम निकाले गए थे दिलों से
इश्क़ दरिया से उनको भी है जो
मिल न पाए कभी साहिलों से
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