आहिस्ता आहिस्ता
हमारी गज़ल है तुम्हारी क़ातिल अदायें
हमसे नजरें हटा लो तुम आहिस्ता-आहिस्ता।
इस मौत के सफ़र में हम चले है अकेले
हम दूर चले जायेगें आपसे आहिस्ता-आहिस्ता।
बद रंग मौसम जवानी कमल़ है
सर्द भरी रातों में यूँ तुम हमको छेड़ो।
तुम्हारी यादो
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