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याद आती है

सचमुच बहुत याद आती है
रात में नींद जब आंखो में भरी होती है
या सुबह की पहली किरण मेरे चेहरे पे होती है...
 
तन्हाई के जलते सहरा में, तुम्हारी प्यास लिए
मैं नंगे पाँव चलता हूँ
या जब कभी यूँही, हंसती-उछलती दौड़ती धारा में
पैरों को भीगोता हूँ...
जब आसमान में अकेला चांद जलता है
और सारा जहाँ सोता है
या जब धरती की बाहों में सरकता सूरज,
क्षीतिज पर होता है
वसंत में कलियाँ जब भँवरों के लिए तरसती हैं
या
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