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प्यार और मौसम

ला रख दो क्युं ना समंदर सारा

फिर भी ना प्यास बुझाता है

ना भेजे वो* बूंदो को अगर (*ईश्वर)

बिन प्रश्न किए मर जाता है।

मुझे प्यार लगे चातक की तरह (* एक पंछी जो सिर्फ बारिश की बूंदों से ही अपनी प्यास बुझाता है)

और तुम छम से गिरो ​​बारिश की तरह।


कभी देखा है सूखी धरती को?

कैसे वो आग उगलती है?

मिलन को तरसती उस धरणी की

छाति कैसे फट जाती है?

कुछ हाल हमारा भी हो ऐसा

एक जलते-तड़पते जर्रे जैसा

मेरा दिल भी फटे, उस कांतेय* की तरह (*प्रेमी, इंगित है धरती को जिसे बारिश की प्रतीक्षा है)

और तुम छम से गिरो ​​बारिश की तरह।


इस अनन्य प्रेम की दुनिया में

हो चारो ओर प्रणय की हरियाली

इक उम्र मिले हम ऐसा भी

हो जीवन, सावन जैसा भी

न हो संताप, न विरह-वेदना

बस प्रेम का निर्मल रस टपके

मधुर मनोहर अनुराग हमारा

चंदे के योवन सा चमके

धुल जाए लेश* पत्तों की तरह (*

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