चलो माना कि अब ना वो मोहब्बत रही..
वक़्त मरहम बना, ज़िंदगी आगे बढ़ी..
फ़िर सूरत उसकी, ज़हन से क्यों ना गई आजतक?
आज भी उसकी याद में क्यों सुलगता हूँ रात भर?
आंख खुलते ही होती थी जो प्यार भरी बातें..
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वक़्त मरहम बना, ज़िंदगी आगे बढ़ी..
फ़िर सूरत उसकी, ज़हन से क्यों ना गई आजतक?
आज भी उसकी याद में क्यों सुलगता हूँ रात भर?
आंख खुलते ही होती थी जो प्यार भरी बातें..