चिलमन's image
कहीं पर मुस्कुराते फूल,            
कहीं पर बरसते शोले।
कहीं पर छाई स्याह रात,
कहीं महकती सुबह की खिड़की कोई खोले।         
कहीं पर झुमते हैं बाग,          
कहीं पर डूबती बस्ती।          
कहीं पर गीत गाते भॅंवरें,          
कहीं पर बिलखती बच्ची।           
जहन में गूंजता रहा,              
अक्सर यही सवाल।
क्या सबका एक साथ उसको,           
आता नहीं ख्याल?          
उसी को पूॅंजते हैं सब,            
वही सबका सहारा है।            
हैं हम सभी उसके,           
वही तो एक हमारा है
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