इश्क़ भी बड़ा अजीब झमेला है ,
लोगो की भीड़ में भी न मिलता कोई मेरा है |
बचपन में सीखा सब एक है ,
मोहब्त बना माँ-पापा , भाई-बहन से रखनी है |
ठीक ही सब चल रहा था , मन अपने कामों में लगा था ,
पता चला इश्क़, सम्मान, आदर , स्नेह में भी फर्क है |
सहेलियों में भी इसी खबर की लहर थी ,
पुछताछ कर एक दूजे से समझ ले इसकी कोशिश थी |
साफ कुछ पता अभी तक इस विषय में हमें था कहाँ ,
पहुंचनेवाले थे पता चलने वाला था कुछ-सबकुछ वहाँ |
देखा अलग नज़रिये से हमने एक व्यक्ति को ,
समझ गए वो सब जो पहले समझा न था |
समझे
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