तुम हो बस एक ही इस भुवन में ,
हो पास नहीं दूर हो बहुत ,
वो बात अलग है सबसे पास लगते हो ,
बातें हमारी बहुत कुछ कहती है ,
कुछ तुम्हारी, कुछ मेरी ,
पर हैरानी ये है चुपिया भी मौन नहीं ,
मीलों दूर का फासला खलता जरूर है ,
पर रोकता नहीं ख्यालो को मिलने से ,
कोई समझा नहीं मुझे जैसे तुम समझते हो ,
मेरी बातों को कितनी गौर से सुनते हो,
जब लगता है साथ नहीं अपने आलावा किसीका ,
उसी मोड़ पर तुम वहा मिलते हो ,
दो लोगो के बीच इश्क़ नाम की जो चीज़ होती है न ,
हमारे बीच न शायद क्या पका वही है ,
तुम्हे थोड़ा ज्यादा मेरी तरफ से थोड़ी
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