परायापन's image

जहाँ दुनिया मुट्ठी में करने के

सपने देखे थे उस पुराने घर

के खिड़की, दरवाज़े कमरे

सब इतने छोटे छोटे लग रहे थे..

बड़ा होना भी कभी कभी

गुनाह लगता है।


मेरे निकलने पर ठहाकों की

आवाज बंद हो जाती थी,

सिर्फ 'भाभी' ही पीछे से

सुनाई देता था, वो नुक्कड़

भी अब वीरान है!


दीवारों पर जहाँ उकेरा गया

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