Roti's image

फटी हुई साड़ी में अपने दिल के टुकडेको छिपाये 

भटक रही है दर बदर एक भिखारिन माँ

इस आस में की

कही से कुछ मिल जाये और में अपने 

कलेजे के टुकड़े केउदर की पीड़ा जो भूख से बढ़ रही है

उसे शांत कर दु 

पर हाय री नियति 

ये दुनिया कितनी निष्ठुर है 

सवेरे से सांझ हो गई प

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