फटी हुई साड़ी में अपने दिल के टुकडेको छिपाये
भटक रही है दर बदर एक भिखारिन माँ
इस आस में की
कही से कुछ मिल जाये और में अपने
कलेजे के टुकड़े केउदर की पीड़ा जो भूख से बढ़ रही है
उसे शांत कर दु
पर हाय री नियति
ये दुनिया कितनी निष्ठुर है
सवेरे से सांझ हो गई प
Read More! Earn More! Learn More!