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बाल कविता (बादल) written by pawan kumar Yadav

उमड़ घुमड़ कर बादल आए

हजारों खुशियां संग लाये

काली गठरी में भरकर पानी लाए

गर्मी को ये दूर भगाएं

उमड़ घुमड़ कर बादल आए


प्यासी धरती को अब जल मिलेगा

पेड़ों पर अब फल लगेगा

हर तरफ होगी हरियाली

कहीं किसान तू कहीं खुश होगे वनमाली

मुरझाए फूलों में अब आएगी लाली

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