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गुमनाम शायर

मोहब्बत गर अल्फाजों में बंध सकती ,

तो कोई शायर पैदा ही नहीं होता ,

ये ज़रूर रूह का मसला है ,

जो कभी ज़िस्म में मुक्कमल नहीं हो सकता ,

शायद इसलिये इश्क की दास्तां हर 

कोई लफजोँ में कैद करना चाह

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