
मोहब्बत गर अल्फाजों में बंध सकती ,
तो कोई शायर पैदा ही नहीं होता ,
ये ज़रूर रूह का मसला है ,
जो कभी ज़िस्म में मुक्कमल नहीं हो सकता ,
शायद इसलिये इश्क की दास्तां हर
कोई लफजोँ में कैद करना चाह
Read More! Earn More! Learn More!
मोहब्बत गर अल्फाजों में बंध सकती ,
तो कोई शायर पैदा ही नहीं होता ,
ये ज़रूर रूह का मसला है ,
जो कभी ज़िस्म में मुक्कमल नहीं हो सकता ,
शायद इसलिये इश्क की दास्तां हर
कोई लफजोँ में कैद करना चाह