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कुछ मुक्तक । हिंदी । परम गरवलिया

कुछ मुक्तक - 5



बस एक मुलाकात करनी है ;

दिल से दिल की बात करनी है।


यूँ झुल्फ़ों से निकली शाम ;

तब से सितारें भी बहक रहे है।


आपने हँसकर पिलाया जो जाम ;

तब से मयख़ाने ख़ामोश बैठे है।


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