Ladke Jitne Khush Hokar's image

लड़के जितने खुश होकर के घर से जाया करते हैं

शहर नहीं उस आसानी से उन्हें बसाया करते हैं


चेहरे पर कुछ और लिखा और दिल की बात तो छोड़ ही दो

अंत में होती तन्हाई है और शुरुआत तो छोड़ ही दो

दिन कटते मजबूरी में और आती रात तो छोड़ ही दो

नमी नहीं यहां बोली में और मीठी बात तो छोड़ ही दो


लड़के जितनी उम्मीदों से ख्वाब सजाया करते हैं

शहर नहीं उस आसानी से उन्हें बसाया करते हैं


ठेले, टपरी, चौराहे ही रोज का खाना देते हैं

मां रहती है दूर कहीं, अफसोस सिराहना देते हैं

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