ये मिलना जुलना मुस्काना
दो चार दिनों की बात है
कल साथ तुम्हारे था कोई
अब कौन तुम्हारे साथ है
ये बंधन प्रेम का दुनिया में
जिसने भी यार बनाया है
जाने कैसी मिट्टी चुनकर
इतना दिलदार बनाया है
चतुराई और मासूमी का
न अंतर पता था, भोले थे
तेरे कहने पर हंस देते
रोने के हुक्म पे रोते थे
ये हंसी ठिठोली बहकना
दो चार दिनों की बात है
कल साथ तुम्हारे था कोई
अब कौन तुम्हारे साथ है
कहते हैं न जो भी होता
अच्छे के लिए ही होता है
मिट्टी की छाती छलनी कर
ही मानव फसलें बोता है
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