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ख़्वाब एक्सप्रेस


मेरी ज़िद मुझ पर ही नहीं चलती 
तू छोड़कर सब कुछ मेरी हमसफर क्यों नहीं बनती

वैसे तो जमाना दीवाना है एक तू 
ही है जिसके दिल पर मेरी कलम 
नहीं चलती 

एक कहानी है मेरे दिल में जिसमें
कई किरदार है हसीं उनमें से एक 
किरदार तू क्यों नहीं बनती

ख़्वाबों के किरदारों की कहानी 
जिदंगी की हकीकत की रील 
पर क्यों नहीं चलती

सूखे मरुस्थल की जमीं से, दिल
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