मातृत्व की टूटी-फूटी झलक's image
103K

मातृत्व की टूटी-फूटी झलक

कल या परसों, या शायद प्रत्येक दिन देखता हूँ, सड़कों पर मातृत्व की अलग-अलग विधाओं को। पर उस दिन के दृश्य ने मुझे विचलित कर दिया, ठेले पर अपने बच्चे को बैठाकर वो बाल बना रही थी, उम्र में मेरी माँ से आधी से कुछ ज्यादा ही होगी, पर दरिद्रता और शरीर की दशा में वह मेरी माँ के समक्ष प्रौढ़ लग रही थी। उसकी आँखों में आँसू नहीं थे, बल्कि अथाह परिस्थितियों व विपन्नताओं के गहर काले 'डार्क सर्कल' थे। उसके पतले और कुपोषित हाथ कम काले और कम घने बालों को सुलझा रहे थे। उसका निस्तेज मुख प्रसन्न हास्य की अभिव्यक्ति दे रहा था। सम्भवतः वह अपने बालक से कुछ कह या हँस रही थी, मेरी माँ की तरह। जब माँ कंघी से अपने घुँघरा
Read More! Earn More! Learn More!