साहस
उजड़ गए सब खेत खलियान,
बड़ा तूफ़ान आ कर गुज़र गया ।
फिर जुट गयी प्रकृति अपने काम में,
अंकुर नया कोई फूट गया ।
उठ जा ! ले सबक़ इस धरती से,
साहस तेरा क्यूँ छूट गया ?
इंसान हैं तू काँच नहीं,<
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साहस
उजड़ गए सब खेत खलियान,
बड़ा तूफ़ान आ कर गुज़र गया ।
फिर जुट गयी प्रकृति अपने काम में,
अंकुर नया कोई फूट गया ।
उठ जा ! ले सबक़ इस धरती से,
साहस तेरा क्यूँ छूट गया ?
इंसान हैं तू काँच नहीं,<