तेरे आने की उम्मीद's image
134K

तेरे आने की उम्मीद

यूं हुईं वस्ल की उम्मीद फिर आज कम धीरे धीरे,
जैसे गुलाब की पंखुड़ियां मुरझा के बिखरती है धीरे धीरे।

हुआ था अपना सिलसिला शुरू एक गुलाब से,
फिर सुलग रहा है आज एक गुलाब धीरे धीरे।

कांटों से बचा के दामन लाया था तेरे लिए,
Read More! Earn More! Learn More!