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समंदर और आसमां

ज़माने की नजरों से दूर जा के मिलता है,
ऐ आसमां मुझमें तेरा अक्स दिखता है।

बेवजह बादलों के पर्दों में जा छुपता है,
वो बादल भी बरस के मुझ में ही मिलता है।

खुस है तू जिस चांद सूरज की सोहबत में,
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