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परवाज का दिन

अल्फाजों को तकल्लुफ दें जनाब आज परवाज का दिन है,
जो की हैं जाग जाग के रातें खराब सफर के आगाज का दिन है।

बिछड़े तो मिलेंगे फिर मिल के फिर बिछड़ना है,
सोचना क्या जो हो अंजाम दिल की आवाज़ का दिन है।

ना हिज्र का हो डर ना ही शर्म का परदा,
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