लाख पर्दों में पड़ी,
जिम्मेवारियों की सूली चढ़ी,
जंगल में छुपे चंदन की तरह,
परेशानियों में भी मुस्कुराती हुई सुगंधरा।
तुम ही सरोजिनी, तुम ही इंदिरा,
तुम्ही प्रगति, तुम्ही सुमति,
ऋद्धि सिद्धि तुम्ही, तुम्ही सावित्री,
सबका पालन पोषण करती तुम वसुंधरा।
परेशानियों में भी मुस्कुराती हुई सुगंधरा।
तुम ही सरस्वती, तुम ही शक्ति,
मैं होता हूं चकित देख भावनाओं की अभिव्यक्ति।
स्नेह, वात
जिम्मेवारियों की सूली चढ़ी,
जंगल में छुपे चंदन की तरह,
परेशानियों में भी मुस्कुराती हुई सुगंधरा।
तुम ही सरोजिनी, तुम ही इंदिरा,
तुम्ही प्रगति, तुम्ही सुमति,
ऋद्धि सिद्धि तुम्ही, तुम्ही सावित्री,
सबका पालन पोषण करती तुम वसुंधरा।
परेशानियों में भी मुस्कुराती हुई सुगंधरा।
तुम ही सरस्वती, तुम ही शक्ति,
मैं होता हूं चकित देख भावनाओं की अभिव्यक्ति।
स्नेह, वात
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