सुबह वो न मिले तो शाम का आसरा,
ये दोपहर जालिम कट भी जाए तो जरा,
ख्वाइशें अभी और भी हैं बाकी,
शाम को जब मिलें चेहरे से नकाब हट भी जाए तो जरा।
दीदार ए हुस्न हो तो चैन मिले,
इस उम्मीद में दिल बहल जाए तो जरा।
आश
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सुबह वो न मिले तो शाम का आसरा,
ये दोपहर जालिम कट भी जाए तो जरा,
ख्वाइशें अभी और भी हैं बाकी,
शाम को जब मिलें चेहरे से नकाब हट भी जाए तो जरा।
दीदार ए हुस्न हो तो चैन मिले,
इस उम्मीद में दिल बहल जाए तो जरा।
आश