तारों की भीड़ में अकेला चाँद कब तक रहता ---पंकज साहनी's image
25K

तारों की भीड़ में अकेला चाँद कब तक रहता ---पंकज साहनी

तारों की भीड़ में अकेला चाँद कब तक रहता,

वो भी तो गुम हो गया एक तारा बनकर।


हज़ारों रौशनी में डूबे शहर की गलियाँ भी,

मेरी तन्हाई चमकी बस एक किनारा बनकर।


नदी भी सागर से मिलते ही खो जाती है,

मैं भी घुल

Read More! Earn More! Learn More!