किसी दूर, बहुत दूर के देश में, एक ऐसा राज्य था जिसे अलौकिकालोक कहा जाता था। यह राज्य जादू और अद्भुत जीवों से भरा हुआ था, जहाँ हर चीज़ संभव थी। इस राज्य का शासक था राजा कल्पनावास, जिसका हर सपना हकीकत में बदल जाता था।
एक दिन, राजा कल्पनावास ने सोचा कि वह अपने राज्य को सबसे अनोखा बना देगा। उन्होंने अपनी जादुई छड़ी उठाई और पूरे राज्य में अलौकिक रचनाएँ करने का आदेश दिया।
पहली कल्पना में, राजा ने आसमान में सात इन्द्रधनुष बना दिए, जो कभी भी नहीं मिटते थे। इन इन्द्रधनुषों पर लोग यात्रा कर सकते थे और उन पर रंग-बिरंगे पक्षियों की सवारी कर सकते थे। हर इन्द्रधनुष के अंत में एक जादुई द्वार था जो किसी भी दुनिया में ले जा सकता था।
दूसरी कल्पना में, राजा ने जंगलों को चमकीले रत्नों से भर दिया। हर पेड़ पर हीरे, पन्ने, माणिक और नीलम लटके हुए थे। रात में ये रत्न चमकते थे और पूरा जंगल तारों की तरह जगमगाता था। इस जंगल में रुनझुन नाम की एक परियों की टोली रहती थी, जो हवा में संगीत बजाती और नाचती थी।
तीसरी कल्पना में, राजा ने एक विशाल जादुई झील बनाई, जिसका पानी सोने की तरह चमकता था। इस झील में तैरने वाली मछलियाँ भी सोने की थीं और पानी से जब भी कोई बूंद गिरती, वह एक छोटा सा सितारा बन जाती थी। इस झील के किनारे स्वर्णसर