
छोटे से कोने में एक दुनिया सजी है
जहाँ हर साँस में उम्मीद सी बसी है
धुएँ की लकीरें हैं जैसे जीवन के धुँधले साए
गरीब का चूल्हा अनगिनत कहानियाँ सुनाए
रात का अँधेरा हो या सुबह की रौशनी
इसकी लपटों में बसती है रोटी की नमी
हर जलती लकड़ी एक संघर्ष की निशानी
मिट्टी की खुशबू में बसी है जीवन की कहानी
अक्सर बुझने की कगार पर फिर भी जलता रहा
छोटे-छोटे सपनों को लिये हर दिन पलता रहा
साधारण से इन चूल्हों में अद्भुत ज़िंदगी बसी है
असाधारण मेहनत भरपूर पर खुशियों की कमी है
ना कोई शिकवा ना शिकायत ना कभी कोई गिला
धुआँधार सिलसिला रोज़ा
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