Eid Mubarak's image

"सारी हवेली को रंगबिरंगी रौशनियों से सजा देना.सजावट में किसी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. रंगबिरंगे फूलों से हवेली के दरवाज़े की सजावट करवा देना.मेहमानों के आने वाले रास्ते लाल गुलाब की खुशबु से महका देना.और ये  लाल पीले नीले चमकदार रंगों के दुपट्टों से पर्दे जैसी सजावट करना.

रुखसाना ... ये दिए अभी तक नहीं जलाये हैं..जल्दी करो मेहमानों के आने का वक़्त हो रहा है. बाकी और तैयारियाँ भी होनी है. क्या ईद का सामान और पीले फूल मँगवा लिये गये हैं?
सुनो.. दीवार की सजावट के लिए शीशे और रिबन कहाँ रखे हैं उन्हें भी अभी लगा दो.दियों को फूलों से सजी हुई थालियों में रखना.

अच्छा तुम सब जल्दी से इन कामों को पूरा करो मैं ज़रा किचन में जाकर काम देखती हूँ. "रूही अपने नौकरों को ईद की तैयारियाँ समझाकर किचन की तरफ बढ़ गयी थी.
रूही के घर में बहुत धूमधाम से ईद का त्यौहार मनाया जाता रहा है.एक महीने पहले से ही ईद की तैयारियाँ शुरू हो जाती है ..ईद के नजदीक रूही को एक लम्हें की भी फ़ुरसत नहीं होती थी.

रूही के शौहर जमाल के चार भाई और दो बहनें थीं. सभी की शादियाँ हो गयी थीं और सभी शहर में रहते थे. जमाल और रूही गाँव में ही अपने वालिदैन के साथ रहते थे.जमाल अपनी ज़मीनों और गाँव में लगे कारोबार की देखभाल किया करता था.

तीज त्यौहार पर सभी भाई बहन गाँव की हवेली में ही इकट्ठा होते थे. इस बार की ईद बहुत खास थी. जमाल के सबसे छोटे भाई की नयी नयी शादी हुई थी और शादी के वक़्त कुछ रस्में गाँव में हुई थी और बाकी सारी शादी और रस्में शहर से हुई थी.. नयी बहु सरकारी अफसर थी नौकरी की वजह से शादी के बाद गाँव नहीं आ पायी थी. इस बार ईद में पहली बार गाँव आ रही थी.

"बुआ, खाने में क्या क्या बन गया है जल्दी मुझे बताएँ" "रूही किचन में आते हुए बोली.
" बिटिया, कबाब, बिरियानी, निहारी, पालक पनीर, छोला पूरी, राजमा चावल, कद्दू का रायता, कटहल की अचार वाली सब्जी, दही-बड़े, आलू की कचौडी, सलाद चावल के पापड सब बन गये है.

मीठे में खीर, काजू कतली, मूँग बडा, जलेबी और गुलाब जामुन सभी बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिये हैं.
खाने की प्लेट और ग्लास भी रखवा दिये हैं. आप परेशान ना हो.. आराम करें. अब तो मेहमानों के आने का इंतजार है. "
" ठीक है बुआ.. चाय का पानी भी चूल्हे पर रख दीजिये सभी सबसे पहले आकर चाय पियेंगे. तब तक मैं भी तैयार हो जाती हूँ."
"ठीक है बिटिया" 
बुआ चाय का पानी चूल्हे पर रखने के लिए उठ गयी थी.
" क्या पहनूँ??... इतने कामों की वजह से ख़ुद के लिए

बाजार जाने का वक़्त नहीं मिल पाया. अलमारी में लगी इतनी भारी साड़ियाँ किचन के कामों में कैसे पहनूँ? आज काम भी ज़्यादा होंगे? चलिए रूही जी पिछली ईद वाली साड़ी ही पहन लीजिए किसी को क्या पता चलता है सब खाने पीने और घूमने में बिजी हो जाते हैं और किसी का कोई ध्यान नहीं जाता कि पिछली दो ईद में आप वही साड़ी पहन कर निपटा चुकी हैं. "रूही अलमारी से अपनी हल्की सी साड़ी निकालते हुए ख़ुद से ही मुस्कुराकर बोली.
" बीबी जी मेहमान आ गए हैं.. आपको बुलाया है.

"रुखसाना ने रूही के कमरे पर आकर दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा
" ठीक है.. मैं बस पाँच मिनट में आती हूँ. " कहकर रूही जल्दी से साड़ी बाँधकर हल्का सा मेकअप करके बाहर आने के लिए तैयार हो गयी थी."
" सलाम भाभी.. अरे आप तो बहुत जल्दी तैयार हो गयी.. माँ बता रही थी कि अभी अभी आप काम से फ्री होकर तैयार होने गयी हैं. "रूही की सबसे छोटी देवरानी ने उसके कमरे में आते हुए कहा.

"वालेकुम सलाम.. अरे छोटी तुम यहाँ कहाँ आ गयीं मैं आ ही रही थी. तुम्हारे वेलकम का मौका ही नहीं दिया तुमने.. पहली बार यहाँ आयी हो. तुम्हारा ये हक़ बनता है. "रूही उसे गले लगाते हुए बोली.
" ईद मुबारक हो भाभी.. ये आपके लिए " ज़िया ने रूही को ईद की मुबारकबाद देते हुए एक प्यारा सा सूट उसके हाथों में थमा दिया.

" जिया ये क्या है "रूही को कुछ समझ नहीं आ रहा था.
" भाभी ये आपका ईद का सूट है और आज आप इसे ही पहनेंगीं. मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए. चलिए. "ज़िया जबरदस्ती रूही को उसके कमरे में ले आयी. जिया की ज़िद  की वजह से रूही आखिरकार सूट पहनने चली गयी.

"वाह भाभी, माशाल्लाह आप कितनी प्यारी लग रही है.यहाँ बैठिए मैं आपका थोड़ा सा मेकअप कर देती हूँ. ये मैचिंग चूडियांँ पहनना मत भूलिएगा."ज़िया उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठाते हुए बोली.

"अरे.. जिया क्या बच्चों सी ज़िद कर रही हो. मुझे बहुत काम हैं किचन में.. अभी सब खाने के लिये शोर करना शुरू कर देंगे. मेरी ईद ऐसी ही रहती है. मुझे काम से फ़ुरसत ही नहीं मिलती है. इतना तैयार होने का भी वक़्त नहीं होता है." रूही को नीचे काम अधूरे होने की फ़िक्र सता रही थी.

" भाभी,आपका दिल भी करता होगा ना कि आप भी सुकून से ईद मनाएँ.. उस दिन आप भी सबकी तरह बैठकर खाएँ. ईद का त्यौहार आपके लिए भी है ना.. "जिया ने कहा

" जिया... बस करो बेटा.. अपनी ख्वाहिशें दिल में बहुत गहराई में बंद कर आयी हूँ.. अब मेरा सारा वक़्त सिर्फ अपनी फैमिली के लिए है "रूही की आँखों में एक नमी सी उतर आयी
" इसे आप जीना कहेंगी, ख़ुश होना कहेंगी" जिया ने सवाल किया
" रूही.. कहाँ हो सब इन्तज़ार कर रहे हैं.. आज तैयार होने में कितना वक़्त ले रही हो. "जमाल ने रूही को आवाज लगाते हुए कहा

" जिया.. मेरी ज़िंदगी में ये सवाल बहुत पहले दम तोड़ चुके है. देखा बाहर आवाज लगनी शुरू हो गयी हैं चलो चलते हैं "
" भाभी आप बैठिए अभी आपका हेअर स्टाइल बाकी है "
" जिया कितनी जिद्दी हो तुम बेटा. "
" सरकारी अफसर हूँ.." जिया मुस्कराते हुए बोली तो रूही भी मुस्कुराने लगी.

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