सब के ज़ख्मों पर मरहम लगाए न गए
घर जो उजड़े इक बार बसाए न गए
वस्ल के किस्से सुनाते फिरते हैं सब
हिज्र के किस्से किसी से भी सुनाए न गए
ख़ुदा करता है परेशान अच्छे लोगों को
बुरे लोग ख़ुदा से भी सताए न गए
हकीक़त क्या है जमीं की वो क्या जाने
जो लोग बुलंदी से गिराए न गए
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