दिल के दहर में एक से मौसम नहीं रहते
खुशियां भी रहती हैं हमेशा ग़म नहीं रहते
मेरी तलाश में हैं जो कह दीजिए उन्हें
इस ज़िस्म के मकान में अब हम नहीं रहते
हम खानाबदोश हैं सो ये आदत पुरानी है
एक शहर में एक मकान में पैहम नहीं रहते
सारे जहां
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