हम केवल महदूद नहीं हैं
राजमहल तक मीनारों तक
पहुंच हमारी चौखट तक है
घर-घर तक हर दीवारों तक
विकसित होने का दावा
हम करते हैं सारी दुनिया से
मंदिर.मस्जिद और मजहब को
ले आए हम बाजारों तक
जनता के अधिकार की बातें
संविधान तक ही सीमित हैं
सुनहरे सपने सियासी दावे
सिमटे हैं केवल नारों तक
भुख,बीमारी और लाचारी
सब है जनता के हिस्से में
राजनीति की पहुँच है केवल
सत्ता सुख और गुल हारों तक
झूठ का महिमामंडन होता
और सत्ता की जय जयकार
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