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ख़्वाहिश में

एक अदद ज़िंदगी की ख़्वाहिश में

आ गए ज़िस्म की नुमाइश में


भटकते ही रहे हैं सारी उम्र

बंजारे कब रहे रिहाइश में


बदलनी है जिन्हें तक़दीर अपनी

लगे हैं ज़ोर-आजमाइश में


आपका ही भला है लगता है

सचमुच आप की सिफारिश में


वक्त कुछ दिन के बाद बदलेगा

अभी सितारे आपके हैं गर्दिश में


Tag: poetry और3 अन्य
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