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दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में

दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में

मौजूद है मोहब्बत अब सिर्फ दुआओं में


कोई भी पलट जाए आवाज़ तेरी सुनकर

इतनी सी कशिश रखना तुम अपनी सदाओं में


कांटे हैं दर्द बे-हद इस बेरहम दुनिया में

आ लौट चलें फिर से फूलों की पनाहों में


वादे कभी न करना झूठे मोहब्बत में

चाहत न कोई रखना बेशर्त वफ़ाओं में


क्या खूब महकती है मौसम की पहली बारिश

मिट्टी की सोंधी खुशबू जब मिलती है हवाओं में


तय कीमतें हैं सच की हर काम के मुताबिक

Tag: poetry और3 अन्य
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